‘उतà¥à¤¤à¤°à¤°à¤¾à¤®à¤šà¤°à¤¿à¤¤à¤®à¥â€™ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ दामà¥à¤ªà¤¤à¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤®

डाॅ0 भैरवी

Abstract


संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ साहितà¥à¤¯ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¥‡à¤® के विभिनà¥à¤¨ सà¥à¤µà¤°à¥‚पों का अनà¥à¤¶à¥€à¤²à¤¨ करने के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ पà¥à¤°à¥‡à¤® की चार शà¥à¤°à¥‡à¤£à¤¿à¤¯à¤¾à¤ निरà¥à¤§à¤¾à¤°à¤¿à¤¤ की जा सकती हैं- पà¥à¤°à¤¥à¤® पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का पà¥à¤°à¥‡à¤® गाधरà¥à¤µ विवाह के पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग में दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—ोचर होता है जहाठनायक और नायिका का अकसà¥à¤®à¤¾à¤¤à¥ मिलन होता है तथा इनमें परसà¥à¤ªà¤° अनà¥à¤°à¤¾à¤— उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ हो जाता है।इस पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° के पà¥à¤°à¥‡à¤® कथा का पà¥à¤°à¤¸à¤‚ग विवाह के पशà¥à¤šà¤¾à¤¤à¥ पà¥à¤°à¤¾à¤¯à¤ƒ समापà¥à¤¤ हो जाता है। दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का पà¥à¤°à¥‡à¤® राजाओं के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ अनà¥à¤¤à¤ƒà¤ªà¥à¤° में किठजाने वाले भोग-विलास का चितà¥à¤°à¤£ मातà¥à¤° है, यथा- उदयन संबंधी पà¥à¤°à¥‡à¤®à¤¾à¤–à¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥¤ तृतीय पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का पà¥à¤°à¥‡à¤® वह है जो चितà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨, सà¥à¤µà¤ªà¥à¤¨à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¤¾à¤¦à¤¿ से उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होता है तथा विवाह चितà¥à¤°à¤£ के साथ समापà¥à¤¤ हो जाता है, यथा नल-दमयंती का पà¥à¤°à¥‡à¤®à¥¤ चतà¥à¤°à¥à¤¥ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° का पà¥à¤°à¥‡à¤® विवाहोपरांत सà¥à¤µà¤¾à¤­à¤¾à¤µà¤¿à¤• रूप से पà¥à¤°à¤¾à¤°à¤‚भ होता है तथा जीवन की विकट परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में और अधिक निखर कर सामने आता है। संभवतः यही दांपतà¥à¤¯à¤ªà¥à¤°à¥‡à¤® का वासà¥à¤¤à¤µà¤¿à¤• सà¥à¤µà¤°à¥‚प है और इसी शà¥à¤°à¥‡à¤£à¥€ में महाकवि भवभूति की अनà¥à¤ªà¤® नाटà¥à¤¯à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ ‘उतà¥à¤¤à¤°à¤°à¤¾à¤®à¤šà¤°à¤¿à¤¤à¤®à¥â€™ में वरà¥à¤£à¤¿à¤¤ पà¥à¤°à¥‡à¤® भी आता है।


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