अंगविनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ तथा उनका यौगिक उपचारः à¤à¤• विमरà¥à¤¶
Abstract
संकà¥à¤·à¥‡à¤ªà¤¿à¤•à¤¾- संसार में विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨-विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ अंग विनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पाठजाते हैं, अंगविनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ का अरà¥à¤¥ है- सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ अथवा छवि (मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾)। मानव शरीर बहà¥à¤¸à¤‚धिय (मलà¥à¤Ÿà¥€ सेगमेंटेड) जीव है इसे à¤à¤•à¤² अंगविनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ नहीं कहा जा सकता, इसमें बहà¥à¤¤ से अंग विनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ परिलकà¥à¤·à¤¿à¤¤ है। विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ रूप से कहा जा सकता है कि अंग विनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ का संबंध वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ विशेष के सà¥à¤µà¤¯à¤‚ के खड़े होने में, बैठने में, चलने में तथा लेटने से संबंधित तरीके के अपनाने से है। इसका अरà¥à¤¥ है कि अंगविनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ अपने विचार को साधने अथवा संà¤à¤¾à¤²à¤¨à¥‡ का ढंग, अपने आपको संà¤à¤¾à¤²à¤¨à¥‡ का तरीका, हमारी सकà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤¾, सचेतना, अंदरूनी ताकत, आतà¥à¤®à¤µà¤¿à¤¶à¥à¤µà¤¾à¤¸ तथा अपने शरीर के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ अपने वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° को दरà¥à¤¶à¤¾à¤¤à¤¾ है। अचà¥à¤›à¥‡ अंग विनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ का मानदंड मोहकता, लयपूरà¥à¤£, संतà¥à¤²à¤¿à¤¤ तथा वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की विशà¥à¤°à¤¾à¤®à¤¾à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ की अपकà¥à¤·à¥à¥‡à¤¾à¤¾ चलने की कौशलता होता है। परंतॠकà¥à¤› लागांे के शरीर का अंग विनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ सामानà¥à¤¯ न होकर विकृत होता है जो उनके सामानà¥à¤¯ जीवनचरà¥à¤¯à¤¾ के कारà¥à¤¯à¥‹à¤‚ मंे बाधा बनाता है व रोजमरà¥à¤°à¤¾ के कारà¥à¤¯à¥‹ को à¤à¥€ पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µà¤¿à¤¤ करता है, à¤à¤¸à¥‡à¥‡ रागांे के उपचार में योग à¤à¤• महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ à¤à¥à¤®à¤¿à¤•à¤¾ अदा करता है। अनेक शाधà¥à¥‡à¤¾à¥‹à¤‚ में पाया गया है कि अंगविनà¥à¤¯à¤¾à¤¸ विकृति का उपचार यौगिक कà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤“ं के माधà¥à¤¯à¤® से संà¤à¤µ है।
मà¥à¤–à¥à¤¯ शबà¥à¤¦- अंग विनà¥à¤¯à¤¾à¤¸, विकृति, योग, उपचार।
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PDFReferences
सिंह अजमेर, बैंस जगदीश, बराड रछपाल, गिल जगतार, शारीरिक शिकà¥à¤·à¤¾ तथा ओलंपिक अà¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨, 2018, कलà¥à¤¯à¤¾à¤£à¥€ पबà¥à¤²à¤¿à¤¶à¤°à¥à¤¸, लà¥à¤§à¤¿à¤¯à¤¾à¤¨à¤¾, दिलà¥à¤²à¥€
https://www.learncbsce.in/cbse-class12-physical-education-postures
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