पंचकोश à¤à¤µà¤‚ समगà¥à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤¯à¤ƒ à¤à¤• विमरà¥à¤¶

नम्रता चैहान

Abstract


योग जà¥à¤žà¤¾à¤¨ à¤à¤• विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ महासागर के समान है, यह असीम जà¥à¤žà¤¾à¤¨ मानव जीवन के अनेक भौतिक से लेकर आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤‚ के पà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿ में सहायक है। योग के महाजà¥à¤žà¤¾à¤¨ कà¥à¤·à¥€à¤°à¤¸à¤¾à¤—र में अनेक विषयों के साथ-साथ पंचकोश का वरà¥à¤£à¤¨ भी समीचिन रूप से मिलता है, चेतना के विभिनà¥à¤¨ सà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤‚ को आधार मानकर मानव के असà¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ को à¤à¤• ही तल पर पाॅच भागों में विभाजित किया गया है, इन पाॅच भागों को पंचकोश (अनà¥à¤¨à¤®à¤¯ कोश, मनोमय कोश, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤®à¤¯à¤•à¥‹à¤¶, विजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤®à¤¯ कोश तथा आनंदमयकोश) कहा गया है। आपस में अतà¥à¤¯à¤‚त घनिषà¥à¤Ÿ रूप से जूडे हà¥à¤ पंचकोशों में मन की अनà¥à¤­à¥à¤¤à¤¿ चेतन, अचेतन तथा अवचेतन मन पर अनà¥à¤­à¤µ होती है। इन पंचकोशों का सीधा संबंध सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤¯ से भी है, ये अनà¥à¤¯ रूप में सà¥à¤¥à¥à¤², सà¥à¤•à¥à¤·à¥à¤® तथा कारण शरीर हैै।
सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤¯ केवल शारीरिक रोगों की अनà¥à¤ªà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ मातà¥à¤° नहीं है अपितॠयह सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤¯ का à¤à¤• सारà¥à¤µà¤­à¥Œà¤®à¤¿à¤• दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•à¥‹à¤£ है जिसमें शारीरिक, मानसिक, सामाजिक तथा आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• आयाम समà¥à¤®à¤¿à¤²à¤¿à¤¤ है। सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤¯ को सरà¥à¤µà¤¾à¤‚गीण रूप से वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ के सà¥à¤µ तथा बाहय परिवेश का संतà¥à¤²à¤¨ तथा समनà¥à¤µà¤¯ कहा जा सकता है। पं. शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® शरà¥à¤®à¤¾ आचारà¥à¤¯ जी सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤¯ को परिभाषित करते हà¥à¤ कहते है कि जिस काम को करने में किसी पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की तकलीफ न हो, शà¥à¤°à¤® से जी न उकताà¤, कारà¥à¤¯ के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ उतà¥à¤¸à¤¾à¤¹ बना रहे तथा मन में पà¥à¤°à¤¸à¤¨à¥à¤¨à¤¤à¤¾ हो यही सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤¯ है। इसके लिठआसन, पà¥à¤°à¤¾à¤£à¤¾à¤¯à¤¾à¤®, मà¥à¤¦à¥à¤°à¤¾ बंध, पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¤¾à¤¹à¤¾à¤°, धारणा, धà¥à¤¯à¤¾à¤¨ आदि के अभà¥à¤¯à¤¾à¤¸ के लिठकहा गया है। इनके अतिरिकà¥à¤¤ योग में समगà¥à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤¯ की पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ के लिठपंचकोश की साधना का विधान बताया है। अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤ विभिनà¥à¤¨ कोशों के जागरण से सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤¯ के आयामों का उतà¥à¤¤à¤°à¥‹à¤¤à¥à¤¤à¤° विकास कर पà¥à¤°à¤—ति की जा सकती है। आज के समय में पंचकोश को समगà¥à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤¯ के परिपà¥à¤°à¥‡à¤•à¥à¤·à¥à¤¯ में समà¤à¤¨à¥‡ कर महती आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ है।
मà¥à¤–à¥à¤¯ शबà¥à¤¦ - पंचकोश, समगà¥à¤° सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¤¯, योग।


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References


खणà¥à¤¡à¥‡à¤²à¤µà¤¾à¤² डाॅ उषा, वैजà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤¿à¤• मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾à¤“ं का आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤ªà¤¾à¤¦à¤¨,

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विवेक चà¥à¤¡à¤¾à¤®à¤£à¤¿, गीतापà¥à¤°à¥‡à¤¸ गोरखपà¥à¤°

शरà¥à¤®à¤¾ पं. शà¥à¤°à¥€à¤°à¤¾à¤® आचारà¥à¤¯, पाॅच पà¥à¤°à¤¾à¤£ पाॅच देव, यà¥à¤—निरà¥à¤®à¤¾à¤£ योजना टà¥à¤°à¤¸à¥à¤Ÿ, मथà¥à¤°à¤¾

सरसà¥à¤µà¤¤à¥€, सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ दिवà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¤‚द,वेदों में योगविदà¥à¤¯à¤¾

सà¥à¤µà¤¾à¤®à¥€ ओमानंद तीरà¥à¤¥, पातंजल योग पà¥à¤°à¤¦à¥€à¤ª

अखंड जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿, वरà¥à¤· 40, अंक 4,

सिंह, पà¥à¤°à¥‹. रामहरà¥à¤·, योग à¤à¤µà¤‚ यौगिक चिकितà¥à¤¸à¤¾, चैखमà¥à¤­à¤¾ संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿ पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤·à¥à¤ ान, जवाहरनगर दिलà¥à¤²à¥€


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