शिक्षकों में पर्यावरण चेतना का आकलन रू प्रदूषित शहरों के संदर्भ में
Abstract
अपने पर्यावरण के प्रति सजग रहनाए उसे सहेजना ज़रूरी है । भारत देश की पर्यावरणीय सम्पदा प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर है । जीवन की गुणवत्ता के लिए आवश्यक है कि पर्यावरण शुद्ध हो । प्रकृति के संसाधन उद्योगों और कारख़ानों के व्यर्थ पदार्थों से प्रदूषित होते हैं । साँस लेने के लिए स्वच्छ वायु एपीने के लिए निर्दोष पानी और पोषण हेतु शुद्ध खाद्यान्न हर प्राणी का जन्मसिद्ध अधिकार है । प्रदूषण आज खतरनाक स्थिति तक जा पहुंचा है । नतीजा यह कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ;छळज्द्ध ने मध्य प्रदेश में इंदौरए मंडीदीपएग्वालियरए नागदाए रतलामए देवासए और पीथमपुर में रेड और ऑरेंज श्रेणी के नए उद्योग और उद्योगों के विस्तार पर रोक लगा दी है । देश के 100 शहरों में उद्योग स्थापना पर रोक लगाई गई है । केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सर्वे में 100 शहरों में प्रदूषण सूचकांक औसत से बहुत ज़्यादा मिला है । मध्यप्रदेश के 6 शहर और छत्तीसगढ़ के 3 शहर ख़तरनाक प्रदूषण की श्रेणी में हैं । छळज् ने कहा कि किसी को यह अधिकार नहीं कि प्रदूषण फैलाकर व्यापार करे । भारत सहित दुनियाभर के उद्योगपतियों को मध्यप्रदेश में निवेश के लिए सरकार बुला रही है । हम अग्रगण्य रहें । विकास की दौड़ में हमें पीछे न रहना पड़े। हम शुद्ध ए स्वच्छ माहौल में रहें जहाँ प्राकृतिक ए सामाजिक ए नैतिक पर्यावरण शुद्ध होए हम अपने इस अधिकार के प्रति कितने सचेत हैं घ् आने वाली पीढ़ी को हम क़ैसे सचेत करेंगे जब हम ही सतर्क न हों घ्!
इस दृष्टि से शिक्षकों की पर्यावरणीय जागरूकता का आकलन करना आवश्यक हो जाता है कि वे अपने शिक्षार्थियों के भले के लिए पर्यावरणीय चेतना के प्रति कितने जागरूक हैं ।
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